डिप्रेशन के कारण महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में खुदकुशी की आशंका
डब्लूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन की साल 2016 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब पांच करोड़ लोग डिप्रेशन के शिकार हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत उन देशों में है जहां डिप्रेशन, स्कीजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर के शिकार सबसे ज्यादा लोग रहते हैं.
ये आंकड़े निराशाजनक तो हैं ही, लेकिन इससे भी ज्यादा अफसोस की बात है कि पूरी दुनिया में डिप्रेशन के शिकार लोगों में से केवल आधे लोगों को ही सही इलाज मिल पाता है.
डब्लूएचओ डिप्रेशन की परिभाषा इस तरह बताता है,
डिप्रेशन एक आम बीमारी है जिसमें इंसान हमेशा उदास रहने लगता है. उसका उन चीजों में दिल नहीं लगता जिनसे पहले वो खुश रहता था. वो दो हफ्तों तक लगातार अपने रोजमर्रा के कामकाज नहीं कर पाता है. इसके अलावा व्यक्ति में कमजोरी बढ़ जाना, भूख नहीं लगना, ठीक से नींद नहीं ले पाना, किसी चीज में ध्यान नहीं लगना, बेचैनी बढ़ जाना, अपनी जिंदगी को बेकार समझ लेना, सारी उम्मीदें खो देना, हर समय निराशाजनक बातें सोचते रहना, खुद को तकलीफ पहुंचाने के बारे में, यहां तक कि खुदकुशी करने का ख्याल आ जाना.

डिप्रेशन और आत्महत्या से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां

व्यक्ति की हालत के आधार पर डब्लूएचओ ने डिप्रेशन को तीन कैटेगरी में बांटा है. लेकिन डब्लूएचओ का कहना है कि इन तीनों हालात के शिकार लोगों का इलाज मुमकिन है.
डिप्रेशन को सीधे तौर पर इससे जोड़ कर देखा जाता है कि इसके शिकार लोगअपनी जिंदगी को ही खत्म कर देना चाहते हैं. वो हर वक्त खुदकुशी करने के बारे में सोचते रहते हैं. रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं डिप्रेशन की ज्यादा शिकार होती हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि मर्द ज्यादा खुदकुशी करते हैं.
पूरी दुनिया में हर 40 सेकंड पर एक व्यक्ति आत्महत्या करता है, हालांकि दुनिया भर में आत्महत्या करने की दर में कमी आई है.
लेकिन भारत में हालात निराशाजनक हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत में आत्महत्या करने की दर काफी बढ़ गई है.