ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुमकिन है निपाह वायरस से निपटना, जानिए कैसे?

स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी और समय पर मेडिकल सपोर्ट के जरिए निपाह से निपटा जा सकता है.

Published
story-hero-img
i
Aa
Aa
Small
Aa
Medium
Aa
Large

केरल में निपाह पॉजिटिव एक केस के कन्फर्म होने के बाद 311 लोगों को मेडिकल निगरानी में रखा गया. अधिकारी ये पता लगाने की कोशिश करने लगे कि कितने लोग निपाह वायरस से पीड़ित शख्स के सीधे संपर्क में आए थे.

गनीमत है कि 7 जून तक केरल में निपाह का कोई नया मामला सामने नहीं आया है. जिन 7 मरीजों के निपाह से संक्रमित होने की आशंका थी, उनकी रिपोर्ट निपाह निगेटिव आई है.

हेल्थ डिपार्टमेंट अलर्ट है और लोगों को सलाह दी गई है कि बुखार होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं. वहीं पड़ोसी राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु ने भी एहतियाती उपायों की तैयारी कर ली है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

निपाह को लेकर अलर्ट रहने की जरूरत क्यों?

  • पहला कारण ये है कि इस वायरस का इंफेक्शन संक्रमित सूअर, संक्रमित चमगादड़ से इंसानों को और इंसान से इंसान में फैल सकता है.
  • पिछले साल 2018 में देखा गया था कि जो लोग निपाह के प्राइमरी केस का इलाज कर रहे थे, उनको ये इंफेक्शन हुआ. इसका मतलब है कि पीड़ित के संपर्क में आने वालों को निपाह संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है.
  • निपाह इंफेक्शन के कारण मौत की ज्यादा आशंका होती है. WHO के मुताबिक भारत में निपाह के मामले साल 2001 में सामने आए, इस दौरान पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में निपाह के 66 मामलों में से 45 लोगों की मौत (मृत्यु दर 68%) हुई थी. इसके बाद साल 2007 में पश्चिम बंगाल के ही नादिया में 5 लोग निपाह के शिकार हुए और पांचों की मौत हो गई. वहीं पिछले साल 2018 में केरल में निपाह के कारण 17 लोगों की जान चली गई थी.
  • निपाह वायरस इंफेक्शन के लिए कोई खास वैक्सीन या दवा मौजूद नहीं है.

क्या निपाह इंफेक्शन के बाद बचना मुमकिन है?

कई देशों में निपाह वायरस डिजीज फैलने के पहले के मामलों में मृत्यु दर अब तक करीब 40 फीसदी से 75 फीसदी के बीच रही है. फिट को दिए एक जवाब में डॉ महेश कुमार, कंसल्टेंट, नारायण हेल्थ मिनिस्ट्री, बेंगलुरु ने साफ किया था:

ऐसा नहीं है कि निपाह वायरस से प्रभावित हर शख्स की मौत हो जाती है. डॉ महेश के मुताबिक निपाह से निपटने के लिए इंफेक्टेड व्यक्ति की इम्यूनिटी और मेडिकल केयर अहम होती है. वास्तव में, रिकवरी 30-50% तक हो सकती है.

केरल में निपाह पॉजिटिव शख्स के इलाज में शामिल एस्टर मेडसिटी हॉस्पिटल कोच्चि में संक्रामक बीमारियों के कसल्टेंट डॉ अनूप आर वारियर ने भी Livemint को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि निपाह इंफेक्शन के मामले में बचना तीन चीजों पर निर्भर करता है.

  • पहला, खास रोगाणु के खिलाफ कोई दवा है या नहीं?
  • दूसरा, अगर इससे शरीर का कोई अंग प्रभावित हुआ है, तो उस अंग के फंक्शन के लिए मेडिकल सपोर्ट कैसे दिया जा रहा है. मान लीजिए अगर फेफेड़ों के फंक्शन में दिक्कत आ रही है, तो वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होगी.
  • तीसरी चीज, पेशेंट की इम्यूनिटी बेहद अहम होती है. इसके लिए एंटीवायरल दवाइयों की मदद ली जा सकती है.
ICMR के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया से मंगाए गए मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज निपाह वायरस इंफेक्शन के कुछ मामलों में प्रभावी पाए गए थे.

कुल मिलाकर ये बात साफ है कि निपाह को लेकर घबराने की बजाए अलर्ट रहने की जरूरत है और बुखार, सिर दर्द, चक्कर आना, मेंटल कंफ्यूजन जैसे लक्षण सामने आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाया जाए ताकि समय रहते मेडिकल सपोर्ट मुहैया कराया जा सके.

Speaking truth to power requires allies like you.
Become a Member
Monthly
6-Monthly
Annual
Check Member Benefits
×
×