अगर आप रात में कम नींद लेते हैं, तो यह आपके लिए खतरे की घंटी हो सकती है. पांच घंटे से कम सोने वाले अधेड़ उम्र के पुरुषों को दिल का दौरा पड़ने या आघात होने का खतरा दोगुना बढ़ जाता है.
बेहद व्यस्त रहने वाले लोगों को सोना समय बर्बाद करने जैसा लग सकता है, लेकिन हमारे अध्ययन के अनुसार कम नींद लेने से भविष्य में दिल की बीमारी होने का खतरा हो सकता है.मोआ बेंगटसन, यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग, स्वीडन
वर्ष 1993 में इस अध्ययन में के लिए 1943 में जन्मे और गोथेनबर्ग में रह रहे पुरुषों की 50 फीसदी आबादी में से लोगों को रैंडम तौर पर चुना गया था.
1,463 लोगों में से 798 लोग इस अध्ययन में शामिल होने के लिए तैयार हुए. इसमें शामिल लोगों की जांच की गई और उनके स्वास्थ्य, सोने की अवधि, शारीरिक सक्रियता और धूम्रपान से जुड़े सवाल पूछे गए. अध्ययन में शामिल आदमियों को सोने की अवधि के आधार पर चार समूहों में बांटा गया.
- 5 या उससे कम घंटे की नींद लाने वाले
- 6 घंटे की नींद लेने वाले
- 7 से 8 घंटे की नींद लेने वाले
- 8 घंटे से ज्यादा की नींद लेने वाले
कम नींद लेने वाले पुरुषों को हाई बीपी, डायबिटीज और मोटापा
दिल का दौरा, स्ट्रोक, हार्ट फेल या दिल की बीमारियों से मौत को लेकर इन प्रतिभागियों पर 21 साल तक अध्ययन किया गया. इसमें 5 घंटे से कम नींद लेने वाले आदमियों में हाई बीपी, डायबिटीज, मोटापा, शारीरिक सक्रियता में कमी और खराब नींद ज्यादा पाई गई. सामान्य नींद लेने वालों की तुलना में हर रात 5 घंटे से कम सोने वाले आदमियों में 71 की उम्र तक दिल की बीमारियों का खतरा दोगुना पाया गया. अध्ययन की शुरुआत से ही मोटापा, डायबिटीज और स्मोकिंग जैसे कारकों को नियंत्रित करने बाद भी दिल की बीमारियों का खतरा दोगुना पाया गया.
50 की उम्र में सबसे कम नींद लेने वाले पुरुषों में 71 की उम्र तक दिल की बीमारियों का खतरा दोगुना हो जाता है, भले ही अन्य जोखिम कारकों को नियंत्रित किया जाए. हमारे अध्ययन में दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम नींद की कमी से उतना ही जुड़ा पाया गया, जितना 50 की उम्र में डायबिटीज और स्मोकिंग से जुड़ा होता है.मोआ बेंगटसन, यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग, स्वीडन
मोआ ने कहा, ‘हमारा अध्ययन अवलोकन पर आधारित था, इसलिए हम ये निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं कि कम नींद ही कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का कारण बनती है. या ज्यादा नींद लेकर इन बीमारियों का खतरा कम हो सकता है’. लेकिन मोआ ने कहा कि यह अध्ययन बताता है कि नींद बेहद जरूरी है और यह हम सभी के लिए अलार्म की घंटी होना चाहिए.
अच्छी नींद के लिए क्या करें?
- व्यायाम: यह न केवल तनाव को काबू में रखता है, बल्कि शरीर की समग्र कार्यप्रणाली को दुरुस्त रखता है, जिससे नींद की गुणवत्ता में सुधार आता है. यह बिस्तर पर जाते ही गहरी नींद आ जाने के लिए शरीर को थका भी देता है. दिन के पहले हिस्से में व्यायाम करने का प्रयास करें.
- कैफीन, एल्कोहल का कहें ना: दिन के दूसरे हिस्से में यानी सोने से लगभग पांच घंटे पहले, इन दोनों चीजों से बचें.
- स्लीप अलार्म: हर रात एक निश्चित समय बिस्तर पर जाने के लिए खुद को याद दिलाएं. अगर आपको एक निश्चित समय पर बिस्तर पर जाना मुश्किल लगता है, तो घड़ी में मॉर्निंग अलार्म की तरह नाइट अलार्म सेट करें. एक बार जब बॉडी क्लॉक नींद की दिनचर्या की आदी हो जाती है, तो नींद की गुणवत्ता में सुधार की संभावना होती है.
- झपकियों से बचें: सोने के समय के करीब झपकियां लेने से बचें. अगर आप दिन के दौरान एक झपकी ले भी रहे हैं, तो कोशिश होनी चाहिए यह 30-40 मिनट से अधिक न हो.
- बेचैनी से बचें: सोने के वक्त के करीब जितना संभव हो सके अपने दिमाग को शांत करें, स्क्रीन से बचें और अगर आपको गहरी नींद नहीं आती है, तो बिस्तर पर करवटें बदलने के बजाय, खुद को शांत करने की किसी गतिविधि में शामिल हों. कोई किताब पढ़ें, आराम से संगीत सुनें या एक कप ग्रीन टी लें.
