बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) से हो रही बच्चों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए 1 जुलाई को कहा कि इसके लिए जागरुकता अभियान की जरूरत है. उन्होंने बताया कि प्रभावित गांवों में आर्थिक-सामाजिक सर्वे करने का निर्देश दिया गया है.
नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में कहा, "ये बीमारी काफी सालों से इस क्षेत्र में हर साल गर्मी के मौसम में आती है. वर्ष 2015 से ही इस मामले में कई अनुसंधान किए जा रहे हैं. सभी विशेषज्ञों की राय अलग-अलग रही है."
AES प्रभावित गांवों में आर्थिक-सामाजिक सर्वे
चमकी बुखार को लेकर जागरुकता अभियान की जरूरत है. मैंने खुद भी मुजफ्फरपुर जाकर पीड़ितों से मुलाकात की है. पीड़ित लोगों में ज्यादा लड़कियां हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं.नीतीश कुमार, सीएम, बिहार
उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रभावित गांवों में आर्थिक-सामाजिक सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे ऐसे लोगों के जीवनस्तर को ऊपर उठाया जा सके. उन्होंने एसकेएमसीएच को 2,500 बेड का अस्पताल करने की भी घोषणा की.
मुख्यमंत्री के पहले राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा, "इस बीमारी से पीड़ित लोगों में कमी आ रही है. साल 2013 में इस बीमारी से जहां 222 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2014 में 379 लोगों की मौत हुई थी. लेकिन इस साल 28 जून तक 154 लोगों की मौत हुई है. सभी तरह के जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं."
1995 से है चमकी बुखार का प्रकोप
उन्होंने कहा, "चमकी बुखार का प्रकोप 1995 से है. देश दुनिया के कई बड़े अस्पतालों के द्वारा इस बीमारी को लेकर रिसर्च किया गया है. रिसर्च में यह भी बताया गया है कि इस बार बच्चों की मुत्यु दर में कमी आई है."
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "बीमारी से जागरुकता के लिए पुस्तिका का वितरण किया गया. लीची पैदावार वाले जिले के लिए 18 लाख पैंपलेट, ओआरएस के पैकेट भी बांटे गए. इसको लेकर सोशल मीडिया, फेसबुक और ट्विटर के जरिए प्रचार भी किया गया है."