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क्या दवाएं एक्सपायर होती हैं? क्या होगा अगर आप उन्हें खा लें

दवाइयों की एक्सपायरी डेट का क्या मतलब होता है?

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आपने बाहर स्वादिष्ट डिनर किया है, घर वापस आने के बाद आधी रात को आपको उल्टी हुई और आपके पेट में दर्द शुरू हो गया; आप अपने दवाइओं के डिब्बे को खंगालते हैं और पाते हैं कि आप जो दवा लेना चाहते हैं, वह चंद हफ्ते पहले ही एक्सपायर हो गई है.

अब आप क्या करेंगे? आमतौर पर आम सोच के कारण आप इसे फेंक देंगे कि दवा जहरीली हो चुकी होगी या असरदार नहीं रह गई होगी. ये निराशाजनक स्थिति है क्योंकि दवाएं महंगी होती हैं, आप उन्हें फेंकना नहीं चाहते और न ही आप किसी एक्सपायर दवा के साइड-इफेक्ट से बीमार होना चाहते हैं.

इस बात को स्पष्ट किया जाना जरूरी है.

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एक्सपायरी डेट का क्या मतलब है?

हमारे देश में दवाओं का नियमन ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और रूल्स 1945 द्वारा किया जाता है. रेगुलेशन ये तय करते हैं कि हर दवा पर पोटेंसी या दवा के असर की समाप्ति की तारीख लिखी होनी चाहिए, जो उस तारीख को इंगित करती है, जिसके लिए निर्माता दवा की पूरी पोटेंसी और सुरक्षा की गारंटी देता है.

दवा की एक्सपायरी डेट के समय, दवा को अमेरिका के मानकों के अनुसार, उचित भंडारण की शर्तों के तहत मूल शक्ति का कम से कम 90% होना चाहिए.

एक्सपायरी डेट निश्चित रूप से एक बिंदु को इंगित नहीं करती है कि कोई दवा अचानक अपना खो देती है या जहरीली हो जाती है.

अमेरिकी सेना के अनुरोध पर यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) द्वारा किए गए एक अध्ययन का निष्कर्ष था कि, “प्रेस्किप्शन पर और खुले बाजार में, दोनों तरह से बिकने वाली 100 से अधिक दवाओं में 90 फीसद से अधिक, एक्सपायरी डेट के 15 साल बाद भी मूल क्षमता को बनाए रखते हुए इस्तेमाल के लिए पूरी तरह से ठीक थीं.”

बेशक, अपवाद भी हैं. ऐसी दवाएं हैं जिनकी स्थिरता और पोटेंसी अपेक्षाकृत ज्यादा तेजी से घटती है. इनमें नाइट्रोग्लिसरीन, इंसुलिन, लिक्विड एंटीबायोटिक्स शामिल हैं.

दवा का असर

दवाइओं की शक्ति उस पल से कम होना शुरू हो जाती है, जब इसे निर्मित किया जाता है, इसे ‘ड्रग डिके’ (दवा का क्षय) कहा जाता है. इसलिए आपकी दवा किसी समय-बिंदु पर प्रयोग के अयोग्य नहीं हो जाती है.

आम सोच और विश्वास के उलट, शायद ही कोई वैज्ञानिक प्रमाण है कि एक्सपायर हो चुकी दवाएं विषाक्त हो जाती हैं और इसलिए हानिकारक हैं.

1963 में इंसान पर विषाक्तता के असर, जो किसी दवा के रासायनिक या भौतिक क्षरण के कारण हो सकती है, की एकमात्र रिपोर्ट है. इस मामले में रेनल ट्यूबलर (किडनी) को नुकसान पहुंचा था, जो खराब टेट्रासाइक्लिन के इस्तेमाल से हुआ था. उसके बाद से, समस्या को दूर करने के लिए टेट्रासाइक्लिन उत्पादों को बदल दिया गया है. इस तथ्य के बावजूद कि इस क्षेत्र में ज्यादा अध्ययनों की सूचना नहीं है, एक्सपायर दवा से विषाक्तता की कोई खबर नहीं होना आश्वस्त करता है.

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जीवनरक्षक दवाइयों को एक्सपायरी डेट के बाद न लें

कुछ दवाओं, जैसे कि एक मिर्गी-रोधी दवा डाइलेन्टिन और एक बहुत ही आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एंटी-एंजिनल दवा नाइट्रोग्लिसरीन, का इस्तेमाल उनकी एक्सपायरी डेट के बाद नहीं किया जाना चाहिए. ओरल गर्भ निरोधकों, आई ड्रॉप्स और इंसुलिन भी ऐसी ही दवाओं की श्रेणी में आते हैं. कुछ लाइव वैक्सीन का भी इस्तेमाल एक्सपायरी डेट के बाद नहीं किया जाना चाहिए.

सबक: अगर आपका जीवन आपकी दवा पर निर्भर करता है, तो सुनिश्चित करें कि वे एक्सपायरी की तारीख से पहले की हों.

एक्सपायर्ड दवा का इस्तेमाल करना है या नहीं, इसके लिए किन बिंदुओं पर विचार करना चाहिए:

  • दवा की हालत. इसका उपयोग केवल तभी करें, जब यह शुरुआती हालत जैसी ही दिख रही हो. भुरभुरी गोलियां, बदरंग इंजेक्शन, पिलपिला या रिसता कैप्सूल इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कभी भी ऐसी दवा न लें, जो किसी भी तरह से संदिग्ध लगे.
  • स्टोरेज की दशाः अगर वे निर्देशित तापमान पर और सूखी जगहों पर स्टोर नहीं की गई हैं, तो दवाएं अपनी प्रभावशीलता को बरकरार नहीं रख पाती हैं.
  • डोज फॉर्मूलेशन: टैबलेट और कैप्सूल की तुलना में लिक्विड और सस्पेंशन कम टिकाऊ होते हैं.
  • एक्पायरी डेट को खत्म हुए कितना समय बीत चुका है.
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व्यावहारिक बनें

डॉक्टर और फार्मासिस्ट कानून से बंधे हैं और आपको कभी भी आधिकारिक तौर पर एक्सपायर दवाओं का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देंगे. समझदारी बताती है कि अगर ये जीवनरक्षक दवा है और आपको पूरी शक्ति की दवा की जरूरत है, तो ऐसे मामले में जान को दांव पर लगाने की कतई जरूरत नहीं है.

कहा जाता है कि, “बेस्ट बिफोर यूज (इस तारीख से पहले इस्तेमाल करें)” लेबल में बहुत मामूली वैज्ञानिकता है, इसलिए सिर दर्द, एसिडिटी, ठंड या कब्ज के लिए, बिना किसी आशंका के एक्सपायर हो चुकी गोली ले सकते हैं. बहुत दुर्लभ मामले को छोड़कर आपको नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है और आश्वस्त रहें कि दवा नुकसान भी करेगी तो निश्चित रूप से जहर नहीं बनेगी.

(डॉ. अश्विनी सेतिया दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर हैं. उनकी कोशिश लोगों को बिना दवा के स्वस्थ जीवन जीने में मदद करना है. उनसे ashwini.setya@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)

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